लघु सिंचाई जनगणना की पद्धति

डेटा संग्रह की पद्धति

पहले की चौथी एमआई जनगणना की तरह, 5वीं एमआई जनगणना आयोजित करने की पद्धति में ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम स्तर और एमआई योजना-वार डेटा एकत्र करने के लिए कागज आधारित गणना कार्यक्रम शामिल थे। ग्राम स्तर के कार्यकर्ताओं/ग्राम प्रधानों से पूछताछ और सरकारी अधिकारियों के कार्यालय में रखे गए राजस्व या भूमि अभिलेखों से उपलब्ध जानकारी के माध्यम से पटवारी द्वारा आम तौर पर ग्राम कार्यक्रम का प्रचार किया जाता था। 5वीं एमआई जनगणना की अन्य दो अनुसूचियां - अर्थात् भूजल और सतही जल अनुसूचियां, प्राथमिक प्रगणकों द्वारा योजनाओं के मालिकों से पूछताछ के माध्यम से प्रचारित की गईं। संस्थागत योजनाओं के मामले में उपलब्ध अभिलेखों के माध्यम से जानकारी एकत्र की जाती है। अधिकांश राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में, जनगणना का क्षेत्र कार्य स्वयं नोडल विभाग द्वारा किया गया था और दुर्लभ मामलों में, किसी अन्य एजेंसी को सौंपा गया था, जिसे राज्य सरकारें अपने पास उपलब्ध फील्ड स्तर के कर्मचारियों को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त समझती थीं। प्राथमिक प्रगणकों को निर्देश पुस्तिका और संबंधित दस्तावेजों के साथ अनुसूचियां प्रदान की गईं। संपूर्ण जनगणना कार्य के लिए, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में लघु सिंचाई जनगणना आयुक्त, मुख्य बिंदु थे।

समन्‍वय प्रणाली

छठी एमआई गणना के संचालन में मार्ग दर्शन और सलाह देने के लिए केंद्रीय स्‍तर पर सचिव की अध्‍यक्षता में एक संचालन समिति का गठन किया गया था जिसमें नीति आयोग, केंद्रीय मंत्रालय जैसे कृषि मंत्रालय, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, आवासन और शहरी कार्य, गृह मंत्रालय, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के सदस्‍य, केंद्रीय जल आयोग और केंद्रीय भूजल बोर्ड के अलावा राजस्‍थान, उत्‍तर प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और सिक्किम राज्‍य शामिल हैं। संचालन समिति में गणना की पद्धति, अनुसूचियों आदि को अंतिम रूप दिया गया था।

प्रत्‍येक राज्‍य में भी संचालन समितियों का गठन किया गया था जिसमें अध्‍यक्ष के रूप में नोडल विभाग के सचिव और सदस्‍यों में राज्‍य का राजस्‍व विभाग, सिंचाई, पंचायती राज, राज्‍य योजना, आर्थिक और सांख्यिकी निदेशालय, ग्रामीण विकास और राष्‍ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (फील्‍ड संचालन प्रभाग) के राज्‍य प्रमुख शामिल थे, जिनका कार्य गणना के दौरान तकनीकी इनपुट और राज्‍य नोडल सांख्यिकी प्रकोष्‍ठ को मार्गदर्शन प्रदान करना था। यथासंभव, केंद्रीय जल आयोग के क्षेत्रीय मुख्‍य अभियंता और केंद्रीय भूजल बोर्ड के क्षेत्रीय मुख्‍य अभियंता और केंद्रीय भूजल बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय का एक प्रतिनिधि भी इस समिति के सदस्‍य थे। राज्‍य स्‍तर पर भी टीमों का गठन किया गया था जिसमें राज्‍य में गणना के संचालन हेतु राज्‍य सांख्यिकी प्रकोष्‍ठ के अधिकारी शामिल थे। इन टीमों को राज्‍य में गणना कार्य के प्रशिक्षण, निगरानी, समन्‍वय एवं पर्यवेक्षण का कार्य सौंपा गया था। इस प्रकार, राज्‍य सांख्यिकी प्रकोष्‍ठों के तकनीकी कर्मचारियों को केंद्र द्वारा आयोजित राज्‍य स्‍तरीय प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षित किया गया था।

फील्‍ड संबंधी कार्य

छठी लघु सिंचाई गणना के साथ-साथ जल निकायों की गणना का कार्य के समग्र प्रभार गणना आयुक्‍त जो संबंधित राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र के नोडल विभाग का वरिष्‍ठ अधिकारी होता है, के अंतर्गत किया गया था, । फील्‍ड संबंधी कार्य या तो नोडल विभाग द्वारा खुद किया गया था या कुछ अन्‍य एजेंसियों को सौंपा/आउटसोर्स किया गया था, जिसे राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र की सरकार द्वारा उपलब्‍ध इंफ्रास्‍ट्रचर को ध्‍यान में रखते हुए उपयुक्‍त माना गया था। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों (जल निकायों के लिए) में आंकड़ों को एकत्र करने का प्राथमिक कार्य प्रागणकों द्वारा किया गया था। ये या तो ग्राम स्‍तर के कार्यकर्ता या ग्राम लेखाकार या लेखपाल या पटवारी या ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र की सरकार द्वारा नामित कोई अन्‍य अधिकारी थे। पर्यवेक्षण का कार्य फील्‍ड एजेंसी के उच्‍च पर्यवेक्षक स्‍तर के अधिकारियों को सौंपा गया था। फील्‍ड कार्यों की समग्र गुणवत्ता की निगरानी ब्‍लॉक/जिला स्‍तर/राज्‍य अधिकारियों द्वारा की जानी थी, जो आंकड़ों की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए योजनाओं के स्‍थलों का बार-बार दौरा और प्राथमिक गणनाकर्ताओं की प्रविष्टियों की जांच कर सकते थे।

प्राथमिक गणनाकर्ताओं को फील्‍ड कार्य करते समय वर्ष 2013-14 के दौरान पिछली गणना में शामिल सभी योजनाओं की सूची अपने साथ ले जाना आवश्‍यक था। उससे दौरा करने और इन सभी योजनाओं को फिर से शामिल किए जाने की आशा की गई थी। उससे यह भी अपेक्षा की गई थी कि वह ग्राम अधिकारियों/जानकार लोगों/जल उपयोगकर्ता संघों से पता लगाए कि क्‍या किसी नई लघु सिंचाई योजना ने वर्ष 2013-14 के बाद कार्य करना प्रारंभ किया था।

प्राथमिक गणनाकर्ताओं ने अनुसूचियों की जांच करते हुए लघु सिंचाई योजनाओं/जल निकायों के मालिकों या इसके निकटवर्ती पड़ोसी से मुलाकात की और उनसे व्‍यक्तिगत पूछताछ के आधार पर जानकारी एकत्र की। गणनाकर्ताओं द्वारा योजनाओं/जल निकायों का वास्‍तविक सत्‍यापन भी किया गया था। गणना का उद्देश्‍य किसानों/मालिकों को लघु सिंचाई योजनाओं या जल निकायों के संबंध में जैसा भी मामला हो विशिष्‍ट जानकारी प्रकट करने में उनका विश्‍वास जीतने के लिए समझाना था। योजना मालिकों को आश्‍वस्‍त किया गया था कि उनके द्वारा दिए गए आंकड़ों को गोपनीय रखा जाएगा।

गणनाकर्ताओं द्वारा योजना/जल निकायों से संबंधित कुछ जानकारी को वास्‍तविक परीक्षण द्वारा एकत्र की गई थी। गणनाकर्ताओं को सभी पूर्ण अनुसूचियों को संवीक्षा हेतु अपने तत्‍कालिक पर्यवेक्षक के समझ प्रस्‍तुत किया जाना आवश्‍यक था। गणकर्ताओं को सभी ग्राम अनुसूचियों, योजनाओं की अनुसूचियों और जल निकायो की अनुसूचियों का संक्षिप्‍त विवरण निर्धारित प्रारूप में तैयार कर अपने तात्‍कालिक पर्यवेक्षक को प्रस्‍तुत करना आवश्‍यक था।

पर्यवेक्षण और निरीक्षण

फील्‍ड कार्यों में प्राथमिक गणनाकर्ता या तो ग्राम स्‍तर के कार्यकर्ता या ग्राम लेखाकार या लेखपाल या पटवारी या राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र की सरकार द्वारा नामित कोई अन्‍य अधिकारी थे। पर्यवेक्षण का कार्य फील्‍ड एजेंसी के उच्‍च पर्यवेक्षक स्‍तर के अधिकारियों को सौंपा गया था। हालांकि, फील्‍ड कार्य की समग्र गुणवत्ता की निगरानी ब्‍लॉक/जिला/राज्‍य स्‍तर के अधिकारियों द्वारा की गई थी, जिन्‍होंने आंकड़ों की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित मानदंडों के अनुसार योजनाओं का बार-बार स्‍थलों का दौरा किया और प्राथमिक गणनाकर्ताओं द्वारा की गई प्रविष्टियों की जांच की। इसके अलावा, केंद्रीय टीम ने राज्‍य सांख्यिकी प्रकोष्‍ठ के अधिकारियों के साथ राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों में फील्‍ड के दौरे किए और फील्‍ड कार्यों की गुणवत्ता की जांच की।

नमूना जांच

ब्‍लॉक स्‍तर के अधिकारियों द्वारा अपने ब्‍लॉक में कम से कम 5 गांवों का दौरा करने, शामिल योजनाओं/जल निकायों का वास्‍तविक सत्‍यापन, गणना की गुणवत्ता और गांव में योजनाओं/जल निकायों की कवरेज सीमा को कम से कम 10% या 300 अनुसूचियों जो भी अधिकतम हो जांच करना आवश्‍यक था जिससे कि एकत्र किए गए आंकड़ों की शुद्धता को सुनिश्चित किया जा सके। आंकड़ों की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए छठी लघु सिंचाई गणना पांचवी लघु सिंचाई गणना में की योजना अनुसूचियों की 10% और ग्राम अनुसूची के 100% की जांच के अलावा एमआई अनुसूचियों की 25% की जांच की एक अतिरिक्‍त मद को प्रस्‍तुत किया गया था। इसे फील्‍ड एजेंसी में गणनाकर्ता के तात्‍कालिक पर्यवेक्षण अधिकारी द्वारा किया जाता है।

जल निकायों की गणना के लिए, अनुसूचियों के 35% की संवीक्षा गणनाकर्ता/ब्‍लॉक स्‍तर के अधिकारी के तात्‍कालिक पर्यवेक्षक द्वारा की गई थी। जांच के पूरा होने पर और फील्‍ड दौरों के उपरांत; ब्‍लॉक स्‍तर के अधिकारी को पर्यवेक्षण का प्रतिवेदन प्रपत्र में भरकर सभी अनुसूचियों को संबंधित जिला स्‍तरीय अधिकारी को (राज्‍य नोडल कार्यालय को प्रतिलिपि सहित) प्रस्‍तुत करना आवश्‍यक होता था। कुल अनुसूचियों का कम से कम 1% या 100 अनुसूचियां जो भी अधिकतम हो, का चयन यादृच्छिक रूप से किया जाना था और जिला स्‍तर के अधिकारी द्वारा इसकी जांच की जानी थी। जिला स्‍तरीय अधिकारी को यह सलाह दी गई थी कि वे एमआई योजनाओं और जल निकाय अनुसूचियों की गुणवत्ता और कवरेज का वास्‍तविक सत्‍यापन करने के लिए 5 अलग-अलग ब्‍लॉकों में कम से कम 5 गांवों का दौरा करें। फील्‍ड कार्यों का निरीक्षण और अनुसूचियों की संवीक्षा को पूरा किए जाने के बाद; जिला स्‍तरीय अधिकारी द्वारा पर्यवेक्षक प्रतिवेदन प्रपत्र को भरकर राज्‍य नोडल कार्यालय में प्रस्‍तुत करना था जिसकी एक प्रति केंद्र को प्रेषित की जानी थी।

राज्‍य द्वारा भेजी गई गणना की मासिक प्रगति रिपोर्ट फील्‍ड कार्य के साथ ब्‍लॉक/जिला स्‍तरीय अधिकारी द्वारा भेजी गई संवीक्षा/निरीक्षण विवरण को पर्याप्‍त रूप से दर्शाता है। राज्‍य नोडल कार्यालय द्वारा आंकडा प्रविष्टि की चयनित एजेंसी को निर्धारित प्रारूप में अनुसूचियां सौंपी गइ थीं। आंकड़ों के प्रसंस्‍करण के लिए, केंद्रीय एनआईसी द्वारा विकसित वेब आधारित ऑनलाइन साफ्टवेयर का उपयोग आंकड़ा प्रविष्टि, सत्‍यापन, सारणीकरण आदि में किया गया था।

जल निकायों की अनुसूचियों के लिए, यह सुनिश्चित करना अपेक्षित था कि जल निकाय की तस्‍वीर की सॉफ्ट प्रति भी उसके अक्षांश और देशांतर के साथ स्‍मार्ट फोन द्वारा गणनाकर्ता द्वारा कैप्‍चर की जाती है। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग में राज्‍य सांख्यिकी प्रकोष्‍ठों और केंद्रीय टीम में अधिकारियों द्वारा बार-बार निरीक्षण और नमूना जांच भी की गई थी।

गणना आंकड़ों का कंप्‍यूटरीकरण

एनर्आसी ने छठी एमआई गणना और जल निकायों की गणना के उपयुक्‍त ऑनलाइन साफ्टवेयर/ऐप विकसित किया था और मेजबानी करने वाले राज्‍यों के सहयोग से मंत्रालय द्वारा आयोजित इसी तरह की क्षेत्रीय डाटा प्रोसेसिंग कार्यशालाओं में तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान किया था।

इसके बाद, राज्य स्‍तरीय प्रशिक्षण का आयोजन राज्‍य गणना आयुक्‍त द्वारा किया गया था। राज्य के नोडल अधिकारियों को समय से ऑनलाइन पोर्टल को प्रयोग करने हेतु यूजर आईडी और पासवर्ड प्रदान किए गए थे। राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों द्वारा आनलाइन आंकड़ों की प्रविष्टियों आदि का सत्‍यापन भी किया गया था।

जल निकायों की गणना में तस्‍वीर खींचने का प्रावधान रखा गया था। जल निकायों की तस्‍वीर खींचने के लिए राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों को मोबाइल फ्रेंडली ऐप/साफ्टवेर भेजे गए थे। जल निकायों की इसी तस्‍वीर को अक्षांश और देशांतर सहित संबंधित जल निकायों की अनुसूची के साथ आनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया जाना था। तस्‍वीर की सुविधाजनक पहचान के लिए तस्‍वीर की फाइल का नाम जल निकाय की 21 अंकों की विशिष्‍ट पहचान संख्‍या और 12 अंकों के अक्षांश और देशांतर के रूप में दिया गया था।

राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों द्वारा आनलाइन पोर्टल में दर्ज किए जाने वाले गणना संबंधी आंकड़ों की केंद्रीय स्‍तर पर पुन:जांच की गई थी और पाई गई खामियों/टिप्‍पणियों में संभावित सुधार/स्‍पष्‍टीकरण के लिए राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों को भेजा गया था। राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों द्वारा किए गए आंकड़ों के आधार पर पोर्टल्‍ पर आनलाइन सारणी तैयार की गई थी। पोर्टल्‍ के माध्‍यम से तैयार की गई आनलाइन सारणियों का उपयोग राष्‍ट्रीय स्‍तर की रिपोर्ट के संकलन में किया गया था। राज्‍य के गणना आयुक्‍त अपनी आवश्‍यकता के अनुसार ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्‍ध आंकड़ों का उपयोग माइक्रोलेवल की सारणी बनाने में कर सकते हैं।

आंकड़ा संग्रहण में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण

छठी एमआई गणना का प्रशिक्षण औपचारिक रूप से नई दिल्‍ली में प्रशिक्षकों के अखिल भारतीय प्रशिक्षण कार्यशाला के आयोजन के साथ शुरू हुआ था जिसमें प्रत्‍येक राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र के अधिकारियों ने भाग लिया था। इसके अलावा, सभी राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों को शामिल करते हुए उत्‍तर, दक्षिणी, पूवी, पश्चिमी, मध्‍य और पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लिए छह क्षेत्रीय प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की की गई थी। इन कार्यशालाओं में राज्‍य/सरकारों/संघ राज्‍य क्षेत्र के प्रशासकों को संकल्‍पनाओं, परिभाषाओं, अनुसूचियों और निर्देश पुस्तिका के प्रशिक्षण के अलावा फील्‍ड संबंधी प्रशिक्षण भी दिया गया था। इन कार्यशालाओं में प्रत्‍येक राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र से 3-4 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिन्‍हें राज्‍य और जिला मुख्‍यालय में लघु सिंचाई गणना आयुक्‍तों द्वारा आयोजित इन कार्यशालाओं में अगले स्‍तर का राज्‍य प्रशिक्षण दिया गया था, जिसमें क्रमश: जिला स्‍तर के अधिकारियों और ब्‍लॉक स्‍तर के अधिकारियों/गणनाकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया था। ऐसे ही कुछ राज्‍य स्‍तरीय प्रशिक्षणों में केंद्र के एक प्रतिनिधि ने पर्यवेक्षण के रूप में भाग लिया। इसके अलावा, राज्‍य प्रशिक्षणों में सभी जिलों के जिला स्‍तरीय अधिकारी, राज्‍य स्‍तरीय एनआईसी अधिकारी, राज्‍य कृषि सांख्यिकी एजेंसी/आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय प्रमुख ने भाग लिया। ऐसे प्रशिक्षणों में, गणना में अपनाई गई कार्य प्रणाली, इसकी प्रक्रिया, अवधारणाओं और परिभाषाओं आदि के विवरण पर विस्‍तार से चर्चा की गई और आवश्‍यक स्‍पष्‍टीकरण भी दिए गए।

डाटा प्रोसेसिंग पर चार क्षेत्रीय कार्यशालाओं का आयोजन किया गया जिसमें सभी राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों के अधिकारियों को छठी गणना के लिए एनआईसी द्वारा विकसित आनलाइन वेब आधारित साफ्टवेयर के विभिन्‍न मॉड्यूल पर विस्‍तृत प्रशिक्षण दिया गया था। इन कार्यशालाओं में राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों से प्राप्‍त सुझावों/प्रतिक्रियाओं को भी साफ्टवेयर में शामिल किया गया था। इन कार्यशालाओं में प्रशिक्षित राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र स्‍तर के अधिकारियों ने अपने-अपने राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों में आगे प्रशिक्षण प्रदान किया।

वित्तीय पहलू

विभिन्‍न अधिकारियों को उनके सामान्‍य दायित्‍वों के अलावा न कि अतिरिक्‍त कार्य की प्रतिपूर्ति या पारिश्रमिक के रूप में सौंपे गए कार्य की सराहना के प्रतीक के रूप में जिला/ब्‍लॉक स्‍तर पर फील्‍ड कार्यों और अनुसूची के निरीक्षण में शामिल अधिकारियों को उपयुक्‍त मानदेय का भुगतान किया गया था, जिसका आहरण जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा छठी एमआई गणना और जल निकायों की पहली गणना के लिए जारी की गई अनुदान राशि से किया गया था। विभिन्‍न प्रशिक्षणों और बैठकों आदि के साथ ही अनुसूचियों और इससे जुड़े दस्‍तावेजों के मुद्रण में आकस्मिक निधियों को प्रदान किया गया था।

निगरानी प्रक्रिया

राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र की सरकारों को निर्धारित प्रारूप में गणना कार्य के विभिन्‍न चरणों से संबंधित मासिक प्रगति रिपोर्ट को ई-मेल/डाक या फैक्‍स द्वारा मंत्रालय को प्रस्‍तुत किया जाना आवश्‍यक था। इसके अलावा, एनआईसी द्वारा विकसित आनलाइन वेब आधारित साफ्टवेयर में उपलब्‍ध प्रगति निगरानी मॉड्यूलर भी आंकड़ों की प्रविष्टियों और गणना कार्यों के चरणों के सत्‍यापन की रियल टाईम प्रगति को देखने के लिए सक्षम बनाता है। मंत्रालय में केंद्रीय स्‍तर पर विभिन्‍न वरिष्‍ठ अधिकारियों की साप्‍ताहिक/मासिक बैठकों में गणना कार्य की प्रगति की नियमित रूप से समीक्षा भी की जाती है। मंत्रालय में राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों के अधिकारियों के साथ होने वाली समीक्षा बैठकों के अलावा, विडियों कॉन्‍फ्रेसिंग और राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों के दौरों के माध्‍यम से राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों के वरिष्‍ठ अधिकारियों के साथ प्रगति से संबंधित प्रमुख मुद्दों को भी उठाया जाता है। इससे गणना कार्य की प्रगति की निगरानी और जहां भी आवश्‍यक हो, उपचारात्‍मक उपाय सुनिश्‍चत करने में मदद मिली।

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